वक़्त और सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
वो सवेरा तो कब से
तेरे सपनो को संग मंजिल को चला है
तू क्यों है उदास
कहाँ गई वो तेरी जीत की ज़िद
पास तेरे क्यों ये नाउममिदो का सिल- सिला है
तू है...
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
वो सवेरा तो कब से
तेरे सपनो को संग मंजिल को चला है
तू क्यों है उदास
कहाँ गई वो तेरी जीत की ज़िद
पास तेरे क्यों ये नाउममिदो का सिल- सिला है
तू है...