...

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वक़्त और सांझ
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
वो सवेरा तो कब से
तेरे सपनो को संग मंजिल को चला है
तू क्यों है उदास
कहाँ गई वो तेरी जीत की ज़िद
पास तेरे क्यों ये नाउममिदो का सिल- सिला है
तू है सिकंदर उठ आगे बढ
तेरा कारवां तेरे पिछे है
तेरा हमसफर बस तेरा हौसला है
है मासूम तेरी खुशीयाँ
बहूत लडी है दर्द से तेरे
फिर भी मूस्कूराया हे दर्द तेरा
एक बार और जीत कर
इस बार भी तेरी खुशियों का दम निकला है
रूठ जाती है सुबह
सांझ के आते ही
वक़्त भी तो आँखे चढाये खडा है
वक़्त से पहले वक़्त से ज्यादा
कहाँ किसी को कूछ यहाँ मिला है ।
sangeeta ( chandny)
11/4/2022







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