...

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नहीं रोकेंगे तुम्हें।
क्या बचा है, जो तुम्हें रोके,
बैठे हैं अपना , बजूूद खोके।

कांटे भी संग ही उगते हैं,
देखा फू्लों का बीज बो के।

दिल संवर ना सका कैसे भी,
किस्मत ने दिए कितने मौके।

ओढ़ आसमां, धरती सोए,
कौन था अपना सा जो रोके।

अपना ईमान ही बचा पाया,
गम पीया खा-खाकर धोखे।

सबके होकर देख लिया ना,
देखो इक वार रब का होके।

© 💕ss