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ग़ज़ल
तुम्हारी याद भी है ज़िन्दगी।
तुम्हारे बाद भी है ज़िन्दगी।
मोहब्बत से है मालामाल भी,
कभी बर्बाद भी है ज़िन्दगी।
कभी हैं रहमतों की बारिशें,
कभी फ़रियाद भी है ज़िन्दगी।
कहीं सहरा ही सहरा चारसू,
कहीं आबाद भी है ज़िन्दगी।
कभी गुज़रे है ये बेफिक्र सी,
कभी मुहतात सी है ज़िन्दगी।
© इन्दु
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