...

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ज़मीं पर नहीं मिल सकती
ज़मीं पर नहीं मिल सकती
मिला करो हवाओं में
मेरा दिल लेकर कहां
उड़ जाती हो
बस आ जाया करो
मेरी बांहों में

इन झील सी आंखों को
मत करीब लाया करो
डूब जाता हूं निगाहों में

मेरी ज़िंदगी का सफ़र तन्हा तन्हा है
फिर भी फूल बिछा रखा हूं
तुम्हारी राहों में
आज कोई खास बात है क्या
दुल्हन लग रही हो
इन रातों में

वफ़ा पे शबनम है
रूखसार पर गुलाबी रंग
तुम बेहद खूबसूरत लगती हो
जब करती हो मुझको तंग

तुम्हारे दीदार के लिए आते है
गलियों में तुम्हारी
कोई बंधन हो जन्मों का
तुम्हारे संग

फूलों की खुशबू हो
खेतों की हरियाली
कोई जादू है तुम्हारे हाथों में
जैसे तुम्हारी हर अदा हो
गुलशन को पसंद

ज़मीं पर नहीं मिल सकती
मिला करो
हवाओं में
मेरी ज़िंदगी हो तुम
आकर सीने से लग जाया
करो
बहुत सकून मिलता है तुम्हारी
बांहों के संग


written by अंगराज कर्ण




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