इंसान है
इज़्ज़त जब बार बार कुचली जाए।
सम्मान जब बार बार ठोकर खाए।
तो इंसान है,
वो कितना आखिर सेह पाए!
ख़ुद की इज़्ज़त बेशक ख़ुद से है,
ना हम...
सम्मान जब बार बार ठोकर खाए।
तो इंसान है,
वो कितना आखिर सेह पाए!
ख़ुद की इज़्ज़त बेशक ख़ुद से है,
ना हम...