आज जब पुराने पन्ने पलट कर देखती हूँ
#TasteOfMemories
आज जब पुराने पन्ने पलट कर देखती हूँ,
तो एहसास होता है, वो पल कितने ख़ास थे।
जब क्लास बंक कर, हम दिनभर ग्राउंड में बैठा करते थे,
जब दोस्त का दिल टूटता, तो ग़ुस्सा हमें आता था।
क्लास में बैठ कर "ट्रुथ एंड डेयर" खेला करते थे,
आख़िरी बेंच पर बैठ कर सबको तंग किया करते थे।
ज़िंदगी कितनी सुलझी हुई थी तब,
घर देर से जाने पर मम्मी की डाँट का डर था।
कोई नई ख़बर बताने के लिए अगले दिन का इंतज़ार,
ट्यूशन से निकलकर यूँही घूमते-घूमते घर लौटना।
दोस्तों के पंगे अपने समझ कर लड़ जाते थे,
होमवर्क जल्दी खत्म कर, दोस्तों संग...
आज जब पुराने पन्ने पलट कर देखती हूँ,
तो एहसास होता है, वो पल कितने ख़ास थे।
जब क्लास बंक कर, हम दिनभर ग्राउंड में बैठा करते थे,
जब दोस्त का दिल टूटता, तो ग़ुस्सा हमें आता था।
क्लास में बैठ कर "ट्रुथ एंड डेयर" खेला करते थे,
आख़िरी बेंच पर बैठ कर सबको तंग किया करते थे।
ज़िंदगी कितनी सुलझी हुई थी तब,
घर देर से जाने पर मम्मी की डाँट का डर था।
कोई नई ख़बर बताने के लिए अगले दिन का इंतज़ार,
ट्यूशन से निकलकर यूँही घूमते-घूमते घर लौटना।
दोस्तों के पंगे अपने समझ कर लड़ जाते थे,
होमवर्क जल्दी खत्म कर, दोस्तों संग...