तुम कितनी अच्छी हो।
सुबह की किरणे कि जैसी तुम लगती हो।
वीणा की सुर कि तरह तुम कहती हो।
कमल के सौंदर्य की तरह तुम बाला।
गुलाबी आंखे है तुम्हारी,," तुम्हें जाम कहे या हाला।
कभी शरारत करती हो तुम मुझसे, तो तुम लगती बच्ची हो।
तुम कितनी....................।
चंचल स्वभाव है तुम्हारा, घुंघराले बाल होठों पर।
संवारती...
वीणा की सुर कि तरह तुम कहती हो।
कमल के सौंदर्य की तरह तुम बाला।
गुलाबी आंखे है तुम्हारी,," तुम्हें जाम कहे या हाला।
कभी शरारत करती हो तुम मुझसे, तो तुम लगती बच्ची हो।
तुम कितनी....................।
चंचल स्वभाव है तुम्हारा, घुंघराले बाल होठों पर।
संवारती...