“बिछोह”
बिछड़ गये वो दो,
सामंजस्य बिठा नहीं पाये जो
कोसो जी भर के रात को
या फिर साँझ को...
सामंजस्य बिठा नहीं पाये जो
कोसो जी भर के रात को
या फिर साँझ को...