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माँ का प्यार
माँ का प्यार
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नऊ महीने कोक में रखकर आह ना निकाली
जनम देने वाली जो मुरत हैं वहीं माँ का प्यार हैं।

भगवान हर जगह नही जा सकते इसलिए माँ हैं।
हर सुख में दुःख में साथ दे वही तो माँ का प्यार हैं।

रात रात भर जाग कर लोरी गा कर सुनाना
प्यार भरे हाथों से बचपन मे खाना खिलाना।

सुरज से पहले वो जागती मुस्कुराते हुए हमें जगाती
परिवार सोने के बाद ही उसे आराम की नींद आती हैं।

थकी हुईं,हारी हुईं माँ मुझे कभी लगती नहीं
उन्होंने सिर्फ दिया कभी कुछ मांगा नहीं।

ये होती हैं माँ और माँ उसका प्यार जिसके लिये
इस जगत जननी के लिए भगवान भी भूखे हैं।

ऐसी निस्वार्थ देवी को कभी रुलाना नहीं
कभी कम नहीं समझना क्यूंकि वो हैं तो हम हैं।

"लड़की बचाओ तो माँ मिलेंगीं, माँ जैसे बहन मिलेंगीं"
उसीसे हैं सारा संसार यही तो हैं माँ का प्यार।।।।।


लेख़क - सुरज तायडे✍️✍️

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