...

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चांदनी
आओ चांदनी रात में नदिया किनारे चलें,
मधुरिम आवाज से कानों में रस घोलते चलें।
कभी तुम मेरी अंखियों में झांकना तो कभी मैं,
बस होठों पे मुस्कान भरे, थिरकते लफ्ज़ लिए चलें