...

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तुम ईश्वर हो..प्रेम हो..जीवन हो...
"बिन पिता की बच्ची को
हमेशा देखा लड़कों से चिढ़ते हुए
पर अनायास ही लग गयी तुम्हारे गले से
नहीं देखा उसे कभी रोते हुए
पर तुम्हारे तोहफ़ा देने पर
छलक उठीं उसकी आँखें
जिसे कभी फर्क़ नहीं पड़ा
घर पर किसी के भी आने-जाने से
वो उदास थी तुम्हारी रुख़सती के वक़्त
शायद तुम्हारे सीने से लग महसूस किया उसने पिता का स्नेहिल स्पर्श
तुम्हारी गोद में मिला उसे भाई का दुलार
तुम्हारे कंधे पर सर रखकर महसूस
किया उसने किसी अपने को
जो शायद उसे उसकी माँ जैसी सुरक्षा और ममता दे सकता है
तुम्हारी मुस्कान में शामिल
उसकी खिलखिलाहटें
सुकून देती हैं उस औरत को
जो बरसों से सोई नहीं
उस बच्ची को महफ़ूज़ रखने की फ़िक्र में
जिसने तमाम रातें बच्ची को सीने से लगाकर आँखों में काट दीं
तुम्हें पता है? तुम ईश्वर हो उस औरत के लिए
तुम प्रेम हो उस बच्ची के लिए
और जीवन हो उस बच्ची की बुझती उम्मीदों के लिए...।"
-मधुमयी
© Madhumayi