फज़ल-ए-इश्क़
मुतासिर करता तो बहुत, मुझे
मेरे लिए, किसी का बदल जाना
गर फितरत में होता मेरी
इस तरहा, किसी को आज़माना।
बेख़्याली की इंतहा...
मेरे लिए, किसी का बदल जाना
गर फितरत में होता मेरी
इस तरहा, किसी को आज़माना।
बेख़्याली की इंतहा...