...

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प्रेम का पर्याय
मन के भीतर झांकती है
कई यादें विस्ममृतिया
देती है कई बार दुःख

कई बार ये यादें ज़ंज़ोड़ती है
सूखे शज़र की तरह
देती थी जो छाया सुखद

टूट के पीले पड़े पत्ते छूटे शाख से
पर तुम जड़ों की माफ़िक
पनपते रहे बनकर प्रेम का पर्याय !!!!
© speechless words