...

5 views

बचपन
तन छोटा था, पर खुशिया बड़ी थी
प्यार की जैसे,एक चादर सी चडी थी

जहाज था कागज़ का , पर उड़ान हमारी थी
नादान दिल था, पर दिल में दुनिआ सारी थी

कैसे माने की , अब वह समय चला गया
बह मै था, जो शायद अब मर गया

क्या उलझने ही अब जीवन का सार है
बह बचपन तो चला गया, जिससे हमे प्यार है

कली को मारा, फूलों के होने ने
ज़िंदा है बचपन ,केवल यादो के कोने में

खिलोने तोड़ने वाले, अब दिल तोड़ बैठें
थे बेस्ट फ्रैंड जो दोस्त, वो अब साथ छोड़ बैठें

थे जो घनिष्ट मित्र, वो अब रिप्लाई नही करते
बचपन की दोस्ती को अब apply नही करते

तन छोटा था, पर खुशिया बड़ी थी
प्यार की जैसे,एक चादर सी चडी थी

कलम की गलती को, मिटा दिया करते थे
दूसरे से की जो लड़ायी, वो भुला दिया करते थे

घर वालो का प्यार भी अलग ही था
थपड मारकर, खाना खिला दिया करते थे

रंग रूप जाती धर्म सभी एक समान थे
कृष्ण जेसे थे मासुम, और वैसे ही शैतान थे


तन छोटा था, पर खुशिया बड़ी थी
प्यार की जैसे,एक चादर सी चडी थी