...

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Kya karu jamane Mein..
बिखरे कितने हैं गम जमाने में
हर इक आंख है नम जमाने में

काम आएगा इन्सान,इन्सां के
तौबा कैसे हैं वहम जमाने में

भीड़ अपनों की बहुत है लेकिन
फिर भी तन्हा है आलम जमाने में

तीसरा कोई भी नजर नहीं आता
एक तुम,एक है हम जमाने में

ढूंढा दिलों में पर मिली ही नहीं
मोहब्बत कितनी है कम जमाने में

झूठे किस्से हैं सारे,झूठे वादे हैं
बड़ी झूठी है कसम जमाने में

दवा इन जख्मों की कौन करे
अब दर्द ही है मरहम जमाने में..

Bless Evening 🌺🌸💐