...

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इंतज़ार रह गया
#इंतज़ार
इक हल्का सा, इस दिल में कहीं भार रह गया
तुझे अलविदा कहने का, इंतज़ार रह गया।

साँसे तो थम गयीं मगर, आँखें खुली रहीं
शायद, तेरा इक आख़िरी, दीदार रह गया।

तेरी झलक, तेरी महक, तेरी कसक है मुझमें
अभी तलक़ भी, तेरा कुछ ख़ुमार रह गया।

इक़रार की गुंजाइश, थी ही कहाँ कोई
इज़हार मेरा और तेरा, इनकार रह गया।

जिन राहों पर हम-तुम कभी, चले थे साथ-साथ
उन राहों में, मैं तन्हां खड़ा, बेज़ार रह गया।

अफ़सोस करने को तो, ज़माने भर के ग़म हैं
फ़िर क्या, जो एक ख़्वाब और बेकार रह गया।

ख़ुद में समेटे "भूषण", ना जाने कितनी यादें
वो गुज़रा वक़्त बनकर, अशआर रह गया।।