सावन की झडी़ और यादें
यह सावन की झडी़,
बरसती ईश्वर की मेहरबानी सी है।
कल तक मुरझाई हर डाली पर,
देखो अब छाई जवानी सी है।
मगर शीशे के बाहर के तूफ़ान से
भीतर के तूफ़ान की रवानी सी है।
बूँदों की टपटप के साथ,
धड़कनों की गूंज जानी पहचानी सी है।
यों बारिश के संग ख्यालों में खो जाना,
मेरी कुछ आदत पुरानी सी है।
बीती...
बरसती ईश्वर की मेहरबानी सी है।
कल तक मुरझाई हर डाली पर,
देखो अब छाई जवानी सी है।
मगर शीशे के बाहर के तूफ़ान से
भीतर के तूफ़ान की रवानी सी है।
बूँदों की टपटप के साथ,
धड़कनों की गूंज जानी पहचानी सी है।
यों बारिश के संग ख्यालों में खो जाना,
मेरी कुछ आदत पुरानी सी है।
बीती...