सावन की झडी़ और यादें
यह सावन की झडी़,
बरसती ईश्वर की मेहरबानी सी है।
कल तक मुरझाई हर डाली पर,
देखो अब छाई जवानी सी है।
मगर शीशे के बाहर के तूफ़ान से
भीतर के तूफ़ान की रवानी सी है।
बूँदों की टपटप के साथ,
धड़कनों की गूंज जानी पहचानी सी है।
यों बारिश के संग ख्यालों में खो जाना,
मेरी कुछ आदत पुरानी सी है।
बीती बातें याद दिलाती वो रातें,
जिनकी बडी़ सुखद कहानी सी है।
एक लम्हें में कई लम्हें जी लेना
मेरे लिए तो मौसम की मेहरबानी सी है।
मगर अब इस दिल को कैसे समझायें,
जवानी तो बहता पानी सी है।
इस मौसम की बारिश में
दिल की जमीं धुली-धुली सी है।
इस धुंधले से वातावरण में
दिल की कली खिली-खिली सी हैं।
शोर कर गिरती बूंदों ने
मेरे दिल में मचाई खलबली सी है।
कुछ यादें हैं इनसे जुड़ी भीगे लम्हों की,
जो कर देती आंखों को गीली-गीली सी हैं।
© Suraj Sharma'Master ji'
बरसती ईश्वर की मेहरबानी सी है।
कल तक मुरझाई हर डाली पर,
देखो अब छाई जवानी सी है।
मगर शीशे के बाहर के तूफ़ान से
भीतर के तूफ़ान की रवानी सी है।
बूँदों की टपटप के साथ,
धड़कनों की गूंज जानी पहचानी सी है।
यों बारिश के संग ख्यालों में खो जाना,
मेरी कुछ आदत पुरानी सी है।
बीती बातें याद दिलाती वो रातें,
जिनकी बडी़ सुखद कहानी सी है।
एक लम्हें में कई लम्हें जी लेना
मेरे लिए तो मौसम की मेहरबानी सी है।
मगर अब इस दिल को कैसे समझायें,
जवानी तो बहता पानी सी है।
इस मौसम की बारिश में
दिल की जमीं धुली-धुली सी है।
इस धुंधले से वातावरण में
दिल की कली खिली-खिली सी हैं।
शोर कर गिरती बूंदों ने
मेरे दिल में मचाई खलबली सी है।
कुछ यादें हैं इनसे जुड़ी भीगे लम्हों की,
जो कर देती आंखों को गीली-गीली सी हैं।
© Suraj Sharma'Master ji'
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