अस्वीकृति
ऐसा जीवन हमें स्वीकार नही
हो प्रेम की जिसमे थाप नही
सूरज अंगड़ाई तो रोज़ लेता है यहाँ
नई किरण की मगर कोई आस नही
सोचा आज चाँद नया होगा
काली चादर बदलने का सोचा ही नही
निकला तो था मै घर से प्यार...
हो प्रेम की जिसमे थाप नही
सूरज अंगड़ाई तो रोज़ लेता है यहाँ
नई किरण की मगर कोई आस नही
सोचा आज चाँद नया होगा
काली चादर बदलने का सोचा ही नही
निकला तो था मै घर से प्यार...