3 views
कल शायद मैं ना रहूं....!
कल शायद मैं ना रहूं...
कल यदि सूरज निकले
तो कहना कि...
मेरे निम्मलित नेत्रों में
एक आंसु अभी सुखना शेष है,
कल यदि बयार चले
तो कहना कि....
दिल में किसी का प्रेम,
चुराए गए स्मृति का परिपक्व फल
मेरी ठहनी पर से गिरना
अभी शेष है,
कल यदि चांद निकले
तो कहना कि....
उसके किरण पाश में बंधकर
बाहर निकल भागने को एक मछली
अब भी मेरे भीतर तड़प रही है,
कल यदि पावक पर कटे
तो कहना कि....
मेरी विरही प्रतिबिंब कि चिता
प्रकटना अभी शेष है,
कल शायद मैं ना रहूं.....?
कल यदि सूरज निकले
तो कहना कि...
मेरे निम्मलित नेत्रों में
एक आंसु अभी सुखना शेष है,
कल यदि बयार चले
तो कहना कि....
दिल में किसी का प्रेम,
चुराए गए स्मृति का परिपक्व फल
मेरी ठहनी पर से गिरना
अभी शेष है,
कल यदि चांद निकले
तो कहना कि....
उसके किरण पाश में बंधकर
बाहर निकल भागने को एक मछली
अब भी मेरे भीतर तड़प रही है,
कल यदि पावक पर कटे
तो कहना कि....
मेरी विरही प्रतिबिंब कि चिता
प्रकटना अभी शेष है,
कल शायद मैं ना रहूं.....?
Related Stories
13 Likes
2
Comments
13 Likes
2
Comments