...

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सिर्फ तुम
इस ज़माने से हमने तुम्हें चुराया है,
तुम्हारे दिल में खुद को बसाया है।

तन्नहा थे हम, तुम हमसफ़र बन कर आये,
इस राज़ को हमने जमाने से छुपाया है।

आंख थी खुली, नींद थी न आंखों में,
कैसे कहूं हमने , क्या सपना सजाया है।

थे अजनबी तुम भी,थे अजनबी हम भी,
न जाने कैसे तुमने, हमें दीवाना बनाया है।

जब भी बातें की तुमने,खो गई तुम्हारी बातों में ,
ख्बाब जब से देखा तुम्हारा , हकीकत को भुलाया है।

जुबां पर तुम्हारा नाम, और दिल में तुम्हारी सूरत,
धड़कन की हर धड़क में तू ही छाया है।
© Anu