खाली जूतों की आवाज़
#खालीजूते
खाली जूते रखे कोने में,
चुपचाप मगर बोलते हैं।
हर कदम की गूंज सुनाते,
बीते कल को टटोलते हैं।
कभी किसी बच्चे के पैरों में,
खेल के मैदान में दौड़े थे।
कभी किसी मजदूर के संग,
सपनों की गलियों में रोड़े थे।
कभी किसी बूढ़े की छड़ी बने,
डगमग राहें थाम लीं।
कभी किसी सैनिक के...
खाली जूते रखे कोने में,
चुपचाप मगर बोलते हैं।
हर कदम की गूंज सुनाते,
बीते कल को टटोलते हैं।
कभी किसी बच्चे के पैरों में,
खेल के मैदान में दौड़े थे।
कभी किसी मजदूर के संग,
सपनों की गलियों में रोड़े थे।
कभी किसी बूढ़े की छड़ी बने,
डगमग राहें थाम लीं।
कभी किसी सैनिक के...