...

5 views

दीवार
दीवार पर तलवार चलाते हो, खुद ही कराहते हो
दुनिया से नज़रे चुराते हो, आईने से मुस्कुराते हो
अकेलेपन का आहार करते हो
किसीका इंतज़ार करते हो
रूह का व्यापार करते हो
मासूमियत से इंकार करते हो
एक शहर है जो रात में जागता है
एक जहर है जो गलियों में बिकता है
एक शेर फलक से वापस आया है
एक शायर ज़मी में समाया है
ये भी कैसी दोस्ती
राख हो गई बस्ती
कितनी क्रांति
हमारी मस्ती
© Mahamegh