...

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अनदेखा हिस्सा
सबने देखा हस्ते हुए दिन मेरे,
वो उदासी भरी रातें किसने देखी है।
देखा है तुमने मस्ती भरे लम्हे मेरे,
वो तन्हाई भरे आलम कहा देखी है ।
तुमने देखा है सैर सपाटे मेरे,
वो किताबों के साथ गुजरती रातें नहीं देखी है।
तुमने देखा है महंगे होटलों में खाना मेरा,
वो घर के फीके दाल चावल नहीं देखी है।
सबने देखा है हौसलों भरे कदमों को मेरे,
वो टूटे हुए हिम्मत को समेटना कहां देखा है।
तुमने देखा है उछले सितारों को मेरे,
वो अंधेरे कि गहराई कहां देखी है।
तुमने देखा है वही जो दिखाया है मैने,
मेरे अनकहें दास्तां कहां देखी है।...
–nihal
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