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कोटि-कोटि प्रणाम।।
यह भारत भूमि!
जिसका युगों-युगों से है सम्मान,
ऐसी भारत भूमि को करूं,
कोटि-कोटि प्रणाम !

हुई जीत सत्य ,धर्म और नीति की,
रघुकुल की पवित्र कीर्ति की,
जन्में जब कृपा निधान।
ऐसी भारत भूमि को करूं,
कोटि-कोटि प्रणाम।।

जब कंस मामा का पाप बढ़ा,
हर ओर पापियों का शोर बढ़ा,
आई तब देवकी की आठवीं संतान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

ऋषि मुनियों का देश रहा है
नृत्य ,संगीत सब विशेष रहा है,
यहीं शुरू हुआ योग और ध्यान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम ।।

हर भाषा अपने में प्रसिद्ध है,
संस्कृत से ही सब सिद्ध है,
यहां की हर भाषा है महान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

मंदोदरी ने शतरंज का खोज किया था,
आर्यभट्ट ने शून्य का आविष्कार किया था,
यहीं का है पुष्पक विमान ।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

आजादी की लड़ाई में,
संघर्ष की चढ़ाई में,
शहीद हुए थे वीर जवान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

यहां की करोड़ों आबादी ने,
महान आत्मा गांधी ने,
आजाद कराया हिंदुस्तान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

गंगा जमुना सब है सदियों से,
यहां की पावन नदियों से,
मिटें पाप जो करे स्नान ।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

धरती यहां की मां कहलाती,
पर्वत, वायु ,जल ,अग्नि सब पूजी जाती,
सब करें यहां अतिथि का सम्मान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

सलाम है यहां के लोगों की,
पवित्रता चारों युगों की,
हर युग से मिला है ज्ञान।
ऐसी भारत भूमि को करूं
कोटि-कोटि प्रणाम।।

नमन है इस प्रेम के सागर को,
ममता से भरी गागर को,
दे सकती हूं इसके लिए जान।
ऐसी भारत भूमि को करूं,
कोटि-कोटि प्रणाम।।
कोटि-कोटि प्रणाम।।
🙏🙏🙏
-->सौम्या तिवारी
© soumya.tiwari