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वजूद ...🌼
मैं
से बाहर
निकलकर जो देखा
दुनिया बहुत छोटी लगने लगी...
दर्द
के अलावा
कुछ और जो महसूस किया
ज़िंदगी बहुत छोटी सी लगने लगी...
मौन
से बाहर जो
देखा एक गुफ़्तगू का माहौल
बातें अपनी बहुत ही कम लगने लगी...
थोड़ा
कुछ होकर जब
देखा ,बहुत होकर भी कुछ नहीं हैं
हुनर की फ़ेहरिस्त छोटी लगने लगी...
ढूंढा
बहुत दफ़ा तुमको
अपने अंदर वजूद जो पाया तुम्हारा
ख़्वाहिशों की उम्र भी छोटी लगने लगी...
☯️
© संवेदना
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