...

11 views

काई जचगी ( राजस्थानी गीत )
होड़ सारा गाँव माही मचगी
जाबा की पिहरिया में काई जचगी


तु काई जाणे थारे बिना म्हँ कतरो दुःख पार्यो छूँ
भूख मरगी सारी बस एक टेम ही खार्यो छूँ
म्हारे बिना रोटी काई तनै पचगी
जाबा की पिहरिया में काई जचगी


ठंडी चाल पूर्वाई थर - थर काया कांपै छै
आग भी भई मजा लेरी वा भी ना तांपै छै
हाल देख म्हारों पाड़ोसण भी नचगी
जाबा की पिहरिया में काई जचगी


आधी - आधी रात ने छोरा - छोरी जगावै छै
कोई मरतों प्यास्यों कोई बाड़ा में भगावै छै
पाणी काढ़ - काढ़ हेंडपम्प स्यूँ आंता म्हारी खचगी
जाबा की पिहरिया में काई जचगी


तड़के आऊ लेवण ने बांध गाँठळी रिजे
कोई ना चाले भहायनो मेरी सासु माँ ने किजे
छोड़ू कौनी आबा दे घणा दिन बचगी
जाबा की पिहरिया में काई जचगी
© Kiran Kumawat