...

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ग़ज़ल
सरसराहट से हवाओं की गिला करने लगे
ज़र्द पत्ते आँधियों में इल्तिजा करने लगे

फिर तुम्हारी बरहमी का हम न रख पाए भरम
फिर तुम्हारे पास आने की ख़ता करने ...