...

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कुछ फ़रिश्ते
कुछ फरिश्ते उन लम्हो के,
कुछ फरमहिशे उन यादो के,
है दरमियां दिल की आदत,
कुछ चाहते उन लोगो से,
इनायत की ज़िंदगी ,
जो मांग न पाये वो बंदगी,
समझना ज़रुरी है तुम्हे,
कहना चाह्ते है जो वक्त भी
इशारे तो हुऐ हज़ार पर्दो के
अब क्या बाकी बस दर्दो के
और अगर में कहु को है जो पास है
तो फिर भी नाम आएगा
कुछ फरिश्ते उन लम्हो के।