*सच्चे प्यार की अनोखी दास्तां*
नजरों से शुरू हुई वो दास्तां,
जहाँ खामोशी में थी इश्क़ की जुबां।
पहली झलक, पहला एहसास,
दिल की धड़कनों ने लिखी अपनी किताब।
वो आँखें जैसे चाँदनी रात,
उनमें खोकर हर दर्द हो गया मात।
तेरी मुस्कान से संजीवनी पाई,
हर ग़म, हर चोट, हर ठोकर भुलाई।
ज़िन्दगी के सफर में आए कई मोड़,
पर हम दोनों ने थामा था एक-दूसरे का हाथ।
तू ही मंज़िल, तू ही रास्ता,
तेरे बिना ये सफर था एक सूनापन।
कभी संग बादलों से बातें की,
कभी धरा पर गिरते आँसुओं को थामा।
कभी चाँद के सपनों में घर बसाया,
कभी सूरज के संग...