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यात्रा का नजर
#यात्राकानजर

जीवन का आख़िरी मुकाम हो या पहला पड़ाव, कुछ खट्टी-मीठी यादों का बना ही रहता हैं साथ, कुछ तो आज तक सताती हैं, अकेले में मुझे रूलाती हैं|

मुझको मासुम बच्चा बनाती हैं, नादानी भरे ख्याल दिलवाती हैं,
आधी उम्र में अब "समय यात्रा का नज़ारों " के ख्वाब आते हैं|

चाहत है की हर-पल बदल दू जब-जब मुझे सबके सामनें रोना आया था, वो सब गायब हो जाए जिसने मेरा मज़ाक बनाया था,

किया ख्यालों में सफर तो देखा मां ने तब कितना लाड़ भी तो लड़ाया था, भाई ने कैसे सबको वहा से भगाया और पापा नें कितने प्यार से जिंदगी को समझाया था|

इसे तो रहने दो यहां तो बहुत मजा आया था|

हां... मिठठू स्कूल में बड़ा सताता था, हर वक्त मेरी यहां से वहां शिकायत लगाता था...

हां... लेकिन हमेंशा मुझे मनाने भी तो वही आता था|

काश काॅलेज में उससे मुलाकात ना होती, ना टूटता यें दिल और उस साल की परिक्षा बर्बाद होती... और बस मधु की मधुर यादें ही बस आज होती|

बिखरा था मैं जब उसने संभाला, कैसे तब से अब तक उसने इस ज़िंदगी को सवारा,

चलो मान लिया ... ना उस साल रूकता और उस से मुलाकात होती|

क्या बचकानी बातें हैं, यें यादें नहीं मासूम से वादें हैं, जो सदा साथ निभाते हैं और कुछ अच्छा ही सिखाते हैं|

समय बदलकर आखिर क्या ही अब मिल जाना हैं, आखिर क्यूं ही इसमें आज को गवाना हैं, जो सिखाया इस समय नें उससे बस अब आगे बढ़ते जाना हैं|




© Kanika