...

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इंसान
खुशियां कम, यहां अरमान बहुत है।
जिसको भी देखो, यहां हैरान बहुत है ?
नजदीक से देखा, तो निकला रेत का घर !
मगर दूर से तो, उनकी शान बहुत है।।
कहते हैं, सच का कोई सानी नहीं ।
मगर आजकल तो, झूठ की आन बान बहुत है।।
मुश्किल से मिलता है, शहर में आदमी ?
यूं तो कहने को, यहां इंसान बहुत है !
वक्त पर न पहचाने, ये है अलग बात।
पर शहर में अपनी भी, पहचान बहुत है।।

Naveen akkhapur