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प्रकृति
#पग-पग
पग -पग धरती पग -पग अम्बर
क्या कुछ ना है पग -पग बोलो
पग- पग अनिल व पग -पग सलिल
धरा कहीं तुम भी मुंह खोलो
कितना लुटाया तुमने है
कितना पाया हमने है
हम नित तुमको तोल रहे हैं
कभी तो तुम हमको भी तोलो
तेरी मिटटी का है दीपक
रुई की बाती तेरी उपज है
जलता उसमे तेल है तेरा
रोशन पथ पर साथ में हो लो
पग -पग धरती पग -पग अम्बर
क्या कुछ ना है पग -पग बोलो
पग- पग अनिल व पग -पग सलिल
धरा कहीं तुम भी मुंह खोलो
कितना लुटाया तुमने है
कितना पाया हमने है
हम नित तुमको तोल रहे हैं
कभी तो तुम हमको भी तोलो
तेरी मिटटी का है दीपक
रुई की बाती तेरी उपज है
जलता उसमे तेल है तेरा
रोशन पथ पर साथ में हो लो
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