अन्नदाता पर मौसम का कहर 😥
बेमौसम बारिश में सिर्फ बादल ही नहीं
किसी की आँखों से भी पानी बरसा है,
चमकती चपला संग आसमाँ ही नहीं
किसी का हृदय भी चित्कारों से गरज़ा है।
तेज तर्रार तूफ़ान में सिर्फ ओले ही नहीं
किसी की खुशियां भी उड़ी है,
आखिर क्यों विधाता!अन्नदाता
की किस्मत क्यों ग़मों से जुड़ी है।
पानी से लबालब भरे खेतों में अनाज
बिखर कर दुःखों की ढाल बह गया,
बस किसान की उम्मीदे, सपने, मेहनत
कर्ज, सूद और वो साल...