...

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तो बताओ गलत कैसे
सही और ग़लत का हिसाब
कौन लिखता है जनाब

अगर ज़िंदगी भर किसी एक को चाहना सही है,
तो आधी रात को उसकी तमन्ना करना गलत क्यों,
अगर निडर होके मर जाना सही है,
तो घुट घुट के जीवन बिताना सही क्यों,

कहासे आए ये तरीके तुम्हारे,
बनाया ये संसार ऐसा किसने,

अगर प्यार करना किसिसे पाक मानते हो,
तो उसका इजहार गलत कैसे हो गया,
अगर प्यार करना ही गलत है,
तो शादी की जरूरत सही कैसे,

तुम करवाना चाहते हो जो शादी,
अगर वो सही है,
तो मेरा चुना हुआ साथी गलत कैसे,
और अगर गलत है पसंद मेरी
तो तुम्हारा चुनाव सही कैसे,

दरवाजे के पीछे जो रोए वो सारी रात
तो आदर्श नारी बन जाए,
जो चिखके इंसाफ मांगने आ गई
तो कैसे गलत हो जाए,

चुपचाप जो सेह पाओ
तो सही हो तुम,
गलत जो जुल्म सेहना नहीं
तो नारी राज कैसे हुआ जुर्म,

सही गलत की बेडिया
अगर तुमने ना बनाई,
तो सहारा क्यों लगता है तुम्हे
आज भी उसिका भाई,

जो समझदार बड़े हो
तो तुम इतने बेवकूफ कैसे,
सही अगर मै हूं नहीं
तो बताओ गलत कैसे,
तो बताओ गलत कैसे।

© drowning angel