...

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इन्तहा हुई बर्दाश की, जुल्म अब बर्दाश नहीं !

अबला को ही शस्त्र धमा दो,
गर तुम रक्षा कर न पाओ,
शस्त्र चलाना भी सिखा दो,
गर तुम रक्षा कर न पाओ !
तेजाब डालने वालों पे,
सजा में ये कानून बनाओ,
जिसने भी डाला तेजाब,
उसपे भी ये ही ड़लवाओ !!

हाथरस में चिता जली,
मानवता भी जल गई,
सत्ताईयों के पैतरों की,
बातें सबको खल गई !
तीन सोई हुई बहने,
तेजाब से झुलसा दी गई,
दुष्टों की इस दुष्टाई से,
हर रूह दहला दी गई !!

बेशर्मी की हद ही कर दी,
कह कछु हुआ नहीं,
शीर्ष नेता के श्रीमुख से,
शब्द तक निकला नहीं !...