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इन्तहा हुई बर्दाश की, जुल्म अब बर्दाश नहीं !

अबला को ही शस्त्र धमा दो,
गर तुम रक्षा कर न पाओ,
शस्त्र चलाना भी सिखा दो,
गर तुम रक्षा कर न पाओ !
तेजाब डालने वालों पे,
सजा में ये कानून बनाओ,
जिसने भी डाला तेजाब,
उसपे भी ये ही ड़लवाओ !!

हाथरस में चिता जली,
मानवता भी जल गई,
सत्ताईयों के पैतरों की,
बातें सबको खल गई !
तीन सोई हुई बहने,
तेजाब से झुलसा दी गई,
दुष्टों की इस दुष्टाई से,
हर रूह दहला दी गई !!

बेशर्मी की हद ही कर दी,
कह कछु हुआ नहीं,
शीर्ष नेता के श्रीमुख से,
शब्द तक निकला नहीं !
उच्च अदालत ने लिया,
घोर अन्याय का संज्ञान,
12 से 20 दिन देकर,
भान समय का रखा नहीं !!

आग ठंडी हुई नहीं,
दिन रात हो रहे दुराचार !
अबलाओं पर जुल्मों का,
सिलसिला है लगातार !
रोज़ पचासों अबलाओं पर,
जारी ही है बलात्कार,
संस्कार सभ्यता की होली है,
नारी पर हर अत्याचार !!

नेताओं के घर घर जाकर,
चुल्लु भर पानी पहुंचाओ,
साथ संदेश भी दे आओ,
डूब के इसमें तुम मर जाओ !
एक सुर में आवाज़ उठा,
नर पिशाचों को होश में लाओ,
हिमायतियों सह सभी को,
कुकर्मों का सबक सिखाओ !!

राजनेताओं होश में आओ,
राजनीति को यहीं थमाओं,
आपस में आरोप लगाके,
अपने मुंह कालिख न लगाओ !
अबला को ही शस्त्र धमा दो,
गर तुम रक्षा कर न पाओ,
शस्त्र चलाना भी सिखा दो,
गर तुम रक्षा कर न पाओ !!

-आवेश हिन्दुस्तानी 14.10.2020