...

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toota bharosa
पंछी बनके उड़ी मैं उसे अपना आसमान बनाया
दर्द को हमदर्द समझा दर्द को ही जान बनाया
वो जख्म दे गया ऐसे जो अबतक पायाब नही
वादे तोड़ा, शख्सियत भी मेरी अब उसे याद नही
दिया दर्द यूँ पास आकर अंदर से झकझोर गया
कसम थी मंजिल तक जाने की दरवाजे पे छोड़ गया
जख्म दिल के दिखे न खुशी के परदे लगा लिए मैंने
वो आया पास वो दूर हुआ इश्क़ के तजुर्बे पा लिए मैंने
कौन कैसा है असली चेहरा किसी का दिखता नही
ये फरेबों का बाज़ार यह भरोसे का रिश्ता बिकता नही