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मां भारती
मां बेटे का रिश्ता
🪷
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हे मां भारती, मैं तो तेरा बालक हूं,
तेरे क्या क्या गुण बतलाऊ ,
अरे तू तो असंख्य सूरज है,
चराग तुझे क्या दिखलाऊं।।१।।

जो सुनता हूं मैं नाम तेरा,
आवाज़ सुनाई देती है,
कहीं रामायण की चौपाई,
नमाज़ सुनाई देती है।।२।।

आंगन में तेरे मुझको,
बड़े रंग दिखाई देते हैं,
यहां विभिन्नता करती कलरव,
सब संग दिखाई देती है।।३।।

यहां नारी का सम्मान बचाने,
नारायण आ जाते हैं,
सतियों का न सत डोले,
यहां जौहर भी हो जाते हैं ।।४।।

आंचल से तेरे लिपटी,
ताबूत लौट जब आती है,
एक लहू से भरती मांग को,
एक छाती से लिपटाती है।।५।।

अरे रक्त से सींचा है धरती को,
तब जन्मे हैं वीर यहां,
अपनी पीड़ा भूलें सारे,
सुनते दीनो की पीर यहां।।६।।

जो सुनूं काल मैं ब्रिटिश मुग़ल का,
क्या बीते हृदय में बतलाऊं,
जी कहे बनूं तलवार मनु की,
आजाद की गोली बन जाऊं।।७।।

मां तेरे–मेरे प्रेम के मध्य में,
ये जग सारा आता है,
क्या देश प्रेम दिखलाऊं,
क्या कहूं क्या अपना नाता है।।८।।

हे माता, तू आदि है, तू है अनंत,
सब ऋतुओं में तू है बसंत,
विध्वंश भी मां तू ही करती,
तू ही करती माता सृजन।।९।।

तू राग में माता भैरूं है,
करुणा में खान की शहनाई,
साहित्य में दिनकर प्रेमचंद,
मां स्वर्ग में तू कश्मीर है।।१०।।

जीवन तुझपे कुर्बान है,
भारत वासी की जान है,
बच्चे, बूढ़े, नर नारी कहें,
हे भारत तू मेरी जान है।
हे भारत तू मेरी जान है ।।११।।
🇮🇳🪷🇮🇳
–ध्रुव
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मिले जब ये मानव शरीर,
और जन्म मैं भारत में पाऊं,
पल छिन–छिन मेरा राष्ट्र दिवस,
हर दिन स्वतंत्रता दिवस मनाऊं।
♥️♥️🪷🇮🇳🪷♥️♥️

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© हरिदास