...

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दो प्रेमियों का मिलन
दो प्रेमियों का मिलन यदि बलात्कार है
बलात्कारी जमाना सारा हर बार है l


माना ज्यादातर ये देह की आग है
कुछ प्रेम कुछ वासना की जाग है l

पकड़ा प्रेमी पुरुष तो बलात्कारी
ये झठी खबर झूठा अब अख़बार है l


ग़र हर बार ऐसा सब बलात्कार है
हम में तुम में फिर कौन सा सदाचार है l

ये किस्से दुनिया भर के ना जाने कितने
जीवन सड़ रहे है कैदखानों में कितने,

जो कसूर वार भी तो न थे इतने
ना समझो संख्या तुम फिर दो चार है l




© fauji munday sohan lal munday