...

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एक खत उसके नाम।
कुछ तो है उसके और मेरे बीच

अक्सर नम आंखों से वो खुद से दूर रहने को कहती है,

पास बुलाकर अक्सर चले जाने को कहा करती है,

कुछ बातें होती नही हमारी लेकिन,
अक्सर खामोशियों का पढ़ लिया करती है,


ना इजहार है कभी, न मुलाकात है कभी,
फिर भी ना जाने मुझे समझ लिया करती है,

की,

कुछ आंखो की बाते मेने भी पड़ी है उसकी,
पास आने की चाहत देखी है मेने उसकी,


उसके रुकने के पीछे का कारण तो नही पता,
लेकिन चाहत किसी को पाने की, आंखों में देखी है उसकी,

पता है मुझे ये इजहार करना मुमकिन नही है,
साथ रह सके दोनो, ये सपना हकीकत नही है,

अधूरा है सब कुछ लेकिन पूरा फिर भी लग रहा है,
उसकी आंखों में थोड़ा इंतजार लग रहा है,
उसकी आंखों में थोड़ा इंतजार लग रहा है,

एक अरसे बाद मुझे जी सही, चलो किसी मे थोड़ी चाहत तो दिखी,
मेरी उलझी हुई दुनिया में किसी को सुलझी
बातें तो दिखी,

वक्त इंतजार का तो पूरी जिंदगी का है मेरा ,
बात अच्छी ये है,
की खामोश रह कर ही सही, किसी को मेरी रूह साफ तो दिखी।



© theuntouchedvoice