...

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नाम तुम्हारा
सोते जगते, खाते पीते
रहता हैं बस ध्यान तुम्हारा,
ज़ब भी लिखने जाऊँ प्रिये
लिख देता हूं नाम तुम्हारा,

भोर कि पहली किरण तुम ही हो,
तुम ही से रोशन शाम हैं मेरी,
दिल कि धड़कन तुम्हारी यादे,
तुम्ही में अटकी जान हैं मेरी,

इन अधरों को याद नहीं कुछ,
ज़ब से चखा हैं जाम तुम्हारा,
ज़ब भी लिखने बैठूं प्रियवर,
लिख आता हूं नाम तुम्हारा...

तुम ही मेरी हंसी का कारण,
तुम ही तन्हाई हो मेरी,
सारी डगर में साथ हो जैसे....
जैसे परछाई हो मेरी,

और जब परछाई भी साथ ना दे तब,
सँग रहता हैं काम तुम्हारा,
ज़ब भी लिखने बैठूं प्रियवर,
तो लिख आता हूं नाम तुम्हारा,

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