...

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शूरवीर….

मैं शूरवीर की तरह
मंजिल को पाना चाहता हूँ,
जिंदगी में जो भी हो
उसके सामने आना चाहता हूँ…
मैं शेर की ही तरह
खुद अकेला लड़ना चाहता हूँ,
राजा नहीं मैं
अपने आप को महाराजा बनाना चाहता हूँ…

लोगों की जरुरत हो
वो उसे पूरा करना चाहते हैं,
वह खुद की नहीं
दूसरो की जिंदगी को पढ़ना चाहते हैं…
तमन्ना ना हो किसी की,
ना हो इरादा बेईमानी का,
निशाने पें जो तीर लगें
मैं ऐसा तीर बनाना चाहता हूँ…
मैं शूरवीर की तरह
मंजिल को पाना चाहता हूँ,
जिंदगी में जो भी हो
उसके सामने आना चाहता हूँ…

नसीबों का एहसास हैं जिसे
वह हमेशा भ्रम में जीते हैं,
फिर वो पंडितो की भविष्यवाणी पर
हमेशा बंधे रह जाते हैं…
कुदरत का करिश्मा हो
ऐसी उम्मीद अन्दर चल रही,
अपने कर्मो से जीतू बाजी
ऐसे करम मैं बनाना चाहता हूँ…
मैं शूरवीर की तरह
मंजिल को पाना चाहता हूँ ,
जिंदगी में जो भी हो
उसके सामने आना चाहता हूँ…

दूर ना समझ अपनी मंजिल को
सोच की गहराई को टटोल जरा !
बहिष्कार कर नाकारात्मक का
उर्जा को पंख लगा कर तूं उच्चा उड़ जरा…
आजाद हो कर जिंदगी से
दिल से आजादी को अपना जरा,
प्यार के बल को लेकर “जिंद”
मैं जोश से आगे बढ़ना चाहता हूँ…
मैं शूरवीर की तरह
मंजिल को पाना चाहता हूँ ,
जिंदगी में जो भी हो
उसके सामने आना चाहता हूँ….


#जलते_अक्षर

© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻