...

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आशिकी और मैं
क्या हर आशिक़ मैं जिंदा है आशिकी
जो कहता था आशिक़ हूं आशिक़ ही रहूंगा
जो तू न मिली तो पूरी कायनात से रूठ जाऊंगा
क्या आज भी याद आती है वो आशिकी और वो साथ बिताए कुछ पल ।

यूं तो गुजरते वक्त बहुत कुछ बदल देता है
पर क्या आज वक्त ने मुझे भी बदल दिया है
अगर ना तो अब जिंदा कैसे हूं तेरे बिन
अगर हां तो हर किसी मैं तुझे क्यों देखती हूं
जान कर भी की अब नहीं है तू मेरा ।

कहते हैं जो मन का हो वो अच्छा
और जो न हो वो और भी अच्छा
पर न ही मन का हो रहा है और न कुछ अच्छा
पर बहुत कुछ हो रहा है जो न जाने
किस और ढाल रहा है मुझे ।



© Dibyashree