...

26 views

वर्षा ऋतु की एक शाम
अपनी खिड़की में बैठकर
अविरत हो रही वर्षा को तकता हूं
कुछ विस्मृत हो मन ही मन विचरता हूं !

इतना जल बादल कहां से लें आते हैं !
इतने हल्के से बादल इतना भारी
भरकम बोझ कैसे उठाते हैं ?

वर्षा ने जोर पकड़ा है और
भारी बारिश के साथ जोरों
की ध्वनि भी प्रतिध्वनित होती है

पर न जाने क्यों वह शोर की...