फिर लौट के आजा ना बचपन
फिर लौट के आजा ना बचपन
और ले चल मुझे भी वहाँ अपने संग
जहाँ थी न कोई चिंता न कोई ग़म
न किसी का डर था न सहमा हुआ मन।
फिर लौट के आजा ना बचपन।।
वो खिलखिलाते हुए चेहरे जो आज कहीं खो से गये
उन्हें ढूंढ कर वापस दिखा दे ना बचपन
वो मासूम से भूले न भुलाये जाने वाले लम्हे
उन लम्हों का फिर एहसास करा दे ना बचपन।
फिर लौट के आजा ना बचपन।।
वो दोस्त जिनसे कुछ नहीं छिपाते थे
उनसे आज बात करने के लिए अल्फाज़ नहीं हैं
जो मुश्किल घड़ियों में हिम्मत से लड़ना सिखाते थे
आज एक डोर से बंधे तो हैं, पर डरती हूँ, शायद डोर में अब वह बात नहीं है।
मेरे बीते कल से फिर एक बार रूबरू करा दे ना बचपन
दिन तो जिंदगी की शाम तक आते रहेंगे, तू रात होने से पहले लौट आ ना बचपन।
रात होने से पहले लौट आ ना बचपन।।
© #feelings@1883
और ले चल मुझे भी वहाँ अपने संग
जहाँ थी न कोई चिंता न कोई ग़म
न किसी का डर था न सहमा हुआ मन।
फिर लौट के आजा ना बचपन।।
वो खिलखिलाते हुए चेहरे जो आज कहीं खो से गये
उन्हें ढूंढ कर वापस दिखा दे ना बचपन
वो मासूम से भूले न भुलाये जाने वाले लम्हे
उन लम्हों का फिर एहसास करा दे ना बचपन।
फिर लौट के आजा ना बचपन।।
वो दोस्त जिनसे कुछ नहीं छिपाते थे
उनसे आज बात करने के लिए अल्फाज़ नहीं हैं
जो मुश्किल घड़ियों में हिम्मत से लड़ना सिखाते थे
आज एक डोर से बंधे तो हैं, पर डरती हूँ, शायद डोर में अब वह बात नहीं है।
मेरे बीते कल से फिर एक बार रूबरू करा दे ना बचपन
दिन तो जिंदगी की शाम तक आते रहेंगे, तू रात होने से पहले लौट आ ना बचपन।
रात होने से पहले लौट आ ना बचपन।।
© #feelings@1883