सपनो का सौदागर कोई
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मन को मेरे छल रहा कोई
मेरा होकर मूझे ही गेर बना रहा कोई
मेरे सूलगता अरमानो की आंच पर
ख्वाब खुद के सेक रहा...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
मन को मेरे छल रहा कोई
मेरा होकर मूझे ही गेर बना रहा कोई
मेरे सूलगता अरमानो की आंच पर
ख्वाब खुद के सेक रहा...