...

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यात्रा
हर स्त्री की अपनी ही यात्रा होती है
उसकी अपनी ही पीड़ाएँ होती है
हर किसी से नकली सा मुस्कुरा कर मिलती है
हर दर्द-ओ-ग़म को छुपा कर मिलती है
कभी मेरी नज़र से देखो हर स्त्री अकेले ख़ुद से ही लड़ती है
रोती है बिलखती है अकेले ही सिसकती है
पर अपने परिवार के सब भेद रखती है...