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हे शंभू त्रिपुरारी
हे शंभू त्रिपुरारी
हाथ जोड़ रोहिणी वंदना करती है तुम्हारी
माथे पर चंद्र सजाए चंद्रशेखर कहलाए
गंगा जटा में बांध, गंगाधर सबके कष्ट मिटाए
एकाक्ष, ललाटाक्ष, सोमसूर्याग्निलोचन ये नाम आपको भाए
नाग गले में डाल, नागेश्वर बन जाए
विष का पान कर, विषधर कहलाए
भस्मोद्धूलितविग्रह बन, भस्म में रमाए
गज चर्म धारण कर कृत्तिवासा कहलाए
हे! अपवर्गप्रद, मृड, पशुपति, पाशविमोचन, शाश्वत, अज, अहिर्बुध्न्य, भूतपति, चारुविक्रम, व्योमकेश, महासेनजनक
जिस भी नाम से पुकारूं मैं
हे विश्वेश्वर! सारा विश्व आप ही में समाए।।।।।
29 Oct'22, 10:17am
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