...

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रंज।
क्या कोई शौक़ रहा ज़िंदगी में कभी?
ज़िंदगी थोड़ी ही मिलती ज़िंदगी में कभी।

हवस रहा मुझ में मेरे ही बरबादी का,
ज़िंदगी को दिया था मौक़ा हमने भी कभी।

उसकी एक नज़र,बातपर लुटाई थी शौहरत मैंने,
उसने ज़ुबां सुनी सिर्फ़,देखा नहीं मेरा दिल कभी।

इससे पहले शिक़वा करते,या...