क्या कहे....
रीशते तो सब बनाते हैं निभाता कोई नहीं
माचिस तो सब जलाते हैं मगर
मगर दिल को तो कम्बक्त लोग जलाते हैं
वो क्या समझते हैं
रिश्ते तो निभाने हमें आपने ही सीखा दिये।
माचिस तो सब जलाते हैं मगर
मगर दिल को तो कम्बक्त लोग जलाते हैं
वो क्या समझते हैं
रिश्ते तो निभाने हमें आपने ही सीखा दिये।
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