...

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"संसार और मैं "
यहां हर एक मंच मैं रच रहा
सारे प्रपंच मैं रच रहा
यहां कोई दूसरा हैं हीं नहीं
खुद मैं हीं मुझसे बच रहा

मैं ने हीं मुझको अपनी माया में उलझाया हैं
मैं ने हीं सर्वप्रथम इस माया को सुलझाया है
नहीं भान मुझको कुछ मैं एक आशिक्षित हूँ
पर एक मैं हूँ यहां जो सबसे ज्यादा शिक्षित हूँ

ये संसार जो दिख रहा मेरा एक सपना हैं
मानव के मन से निर्मित एकमात्र कल्पना हैं
उस मन के पीछे झांको तोह उस मन का हीं मैं स्वामी हूँ
वैसे तोह मेरा कोई नाम नहीं पर मैं हीं नारायण नामी हूँ
🖋️ krishn





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